उत्तराखंड

पंचायत चुनाव में कर्मचारियों के वोट पर लगी रोक, चुनावी प्रतिशत पर असर की आशंका

उत्तरकाशी: इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों को अपने मताधिकार से वंचित रहना पड़ेगा। निर्वाचन आयोग की ओर से पंचायत चुनाव के दौरान मतदान ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को वोट देने की अनुमति देने संबंधी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है, जिससे शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी संगठनों में नाराजगी है।

उत्तरकाशी जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के तहत 3395 कर्मचारियों की ड्यूटी विभिन्न मतदान केंद्रों पर लगाई गई है। इसके अतिरिक्त 20 जोनल मजिस्ट्रेट, 76 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 50 प्रभारी अधिकारी भी चुनावी प्रक्रिया के संचालन के लिए नियुक्त किए गए हैं। लेकिन इन सभी कर्मचारियों को अपने मत का प्रयोग करने का अवसर नहीं मिलेगा।

राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अतोल महर ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनावों में चुनाव ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था की जाती है, लेकिन पंचायत चुनाव में इस प्रकार की कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

उन्होंने कहा, “अधिकांश कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जहां उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है। यदि वे अपने मत का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं, तो न सिर्फ उनके अधिकार का हनन हो रहा है, बल्कि संबंधित ग्राम पंचायतों के मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ेगा।”

शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी संगठनों ने मांग की है कि भविष्य में पंचायत चुनाव के दौरान भी अन्य चुनावों की तरह पोस्टल बैलेट या वैकल्पिक मतदान व्यवस्था लागू की जाए, ताकि कर्मचारी अपने लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित न रहें।

इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) एस.एल. सेमवाल ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग की ओर से पंचायत चुनावों के लिए मतदानकर्मियों के मताधिकार के प्रयोग हेतु कोई दिशा-निर्देश नहीं जारी किए गए हैं।

हालांकि इस मुद्दे ने राज्यभर में चर्चा को जन्म दे दिया है और संभावना है कि यह विषय आगामी पंचायत चुनावों में नीति निर्धारण का हिस्सा बन सकता है।

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