
भाजपा नेतृत्व की कार्यशैली और पारदर्शिता पर उठाए सवाल
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भाजपा पर संगठनात्मक चुनावों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। राउत ने तंज कसते हुए कहा कि जब भाजपा देश के सर्वोच्च संस्थानों—मुख्य न्यायाधीश, उपराष्ट्रपति और चुनाव आयुक्त जैसे पदों पर बदलाव करने की ताकत रखती है, तो फिर अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने से क्यों बच रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही और यही भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी है।
राउत ने कहा कि भाजपा नेतृत्व संगठनात्मक स्तर पर चुनाव कराने में असमर्थ दिखाई देता है। उनका व्यंग्यपूर्ण हमला भाजपा की कार्यशैली और पारदर्शिता पर सीधा वार माना जा रहा है।
मुंबई नगर निगम चुनाव और ठाकरे फैक्टर
आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनाव को लेकर राउत ने संकेत दिए कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच बातचीत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे पर बयान केवल अंतिम सहमति के बाद ही सामने आएगा। राउत का दावा है कि ठाकरे परिवार का प्रभाव महाराष्ट्र की राजनीति में आज भी अहम है और इसका असर चुनावी नतीजों में साफ दिखेगा।
मराठी अस्मिता पर जोर
राउत ने मराठी पहचान को भी चुनावी एजेंडे से जोड़ा। उन्होंने कहा कि “मराठी जनता बताएगी कि ठाकरे ब्रांड का असली अर्थ क्या है।” उनका इशारा इस ओर था कि स्थानीय अस्मिता एक बार फिर चुनाव में निर्णायक कारक साबित हो सकती है।
भाजपा पर सीधा निशाना
विशेषज्ञ मानते हैं कि राउत का यह बयान भाजपा पर दबाव बनाने और विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। शिवसेना (यूबीटी) पहले से ही भाजपा पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने और संस्थानों पर नियंत्रण जमाने के आरोप लगाती रही है। अब संगठनात्मक चुनाव का मुद्दा भी इस बहस में नया मोड़ लेकर आया है।
राउत के बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में मुंबई नगर निगम चुनाव और राज्य की राजनीति में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि “समय आने पर तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।” राजनीतिक गलियारों में इसे विपक्षी खेमे की नई रणनीति का संकेत माना जा रहा है।