उत्तराखंड

डॉ. नरेश बंसल ने जीएसटी दरों के तर्कसंगतीकरण के प्रभाव को लेकर केंद्रीय सहकारिता मंत्री से किया सवाल

देहरादून/नई दिल्ली। भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद डॉ. नरेश बंसल ने संसद में सहकारी समितियों पर लागू जीएसटी दरों के तर्कसंगतीकरण के प्रभाव को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया। उन्होंने यह प्रश्न अतारांकित प्रश्न के माध्यम से केंद्रीय सहकारिता मंत्री से किया।

डॉ. नरेश बंसल ने पूछा कि क्या डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और ग्रामीण उद्यमों से जुड़ी सहकारी समितियों पर हाल ही में किए गए जीएसटी दरों के संशोधन के संभावित प्रभावों का कोई अध्ययन किया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा कि इन बदली हुई दरों का किसानों, डेयरी सहकारिताओं और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों की आय पर क्या असर पड़ेगा।

इस पर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सदन को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीएसटी दरों के युक्तिसंगतीकरण से सहकारी क्षेत्र को व्यापक लाभ मिलने की संभावना है।

डेयरी क्षेत्र को राहत
मंत्री ने बताया कि दूध और पनीर पर जीएसटी को पूरी तरह शून्य कर दिया गया है, जबकि मक्खन, घी, चीज और दूध के डिब्बों जैसे उत्पादों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इससे डेयरी उत्पाद सस्ते होंगे, मांग बढ़ेगी और डेयरी सहकारी समितियों के राजस्व में इजाफा होगा। साथ ही डेयरी किसानों को अपने उत्पादों के बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा
खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी अधिकांश वस्तुओं जैसे जैम-जेली, फ्रूट जूस आधारित पेय, चॉकलेट, कॉर्न फ्लेक्स, आइसक्रीम, बिस्कुट, केक और पेस्ट्री पर जीएसटी दर को 12 या 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। मंत्री के अनुसार, इससे इन उत्पादों की मांग बढ़ेगी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में काम करने वाली सहकारी समितियों को सीधा लाभ मिलेगा।

कृषि और ग्रामीण उद्यमों को फायदा
कृषि क्षेत्र में उर्वरक निर्माण से जुड़ी प्रमुख निविष्टियों जैसे अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अलावा कई जैव कीटनाशकों और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स पर भी जीएसटी घटाई गई है। 1800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टरों और उनके पुर्जों पर भी जीएसटी में भारी कटौती की गई है। इससे उर्वरकों और कृषि उपकरणों की लागत घटेगी, किसानों को समय पर और किफायती इनपुट उपलब्ध होंगे तथा जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

किसानों और स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ने की उम्मीद
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जीएसटी दरों में कमी से सहकारी उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। इससे बाजार में सहकारी ब्रांड्स की हिस्सेदारी बढ़ेगी और उपभोक्ताओं का भरोसा मजबूत होगा। उच्च बिक्री और बेहतर मुनाफे के चलते सहकारी समितियां अपने सदस्यों को अधिक लाभ दे सकेंगी। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में उपभोक्ता मूल्य का करीब 80 प्रतिशत डेयरी किसानों को मिलता है, जो भविष्य में बढ़कर लगभग 85 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर मूल्य और बाजार पहुंच मिलने से महिला नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों और छोटे उत्पादकों के सहकारी समितियों से जुड़ने की संभावनाएं बढ़ेंगी, जिससे देशभर में ग्रामीण आय और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

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